भवन निर्माण के दौरान कई प्रकार के वास्तु दोष रह जाते हैं। इन्हें दूर करने के लिए भवन में ऊॅ, स्वास्तिक, फेंगसुई आदि शुभ-चिन्हों का उपयोग वास्तु-दोष में काफी हदतक राहत प्रदान करता है। लेकिन क्या आप जानते है कि आपके घर के किस कोने में वास्तुदोष का असर है और आप पर उसका क्या असर पड़ रहा है तो आईये हम आपको बताते है कैसे जानें भवन का कौन सा कोना वास्तुदोष से पीड़ित सर्दी-जुकाम सर्दी-जुकामःयदि मकान के ब्रहमस्थल में दोष है और आप अक्सर इसमें अपना समय गुजारते है तो आप सर्दी-जुकाम से पीड़ित रहेंगे। डायबिटीज-यदि भवन के अग्नि कोण और ईशान कोण में दोष है तो आपको डायबिटीज होने की ज्यादा सम्भावना है। यदि परिवार में किसी को डायबिटीज पहले से है तो फिर डायबिटीज को नियन्त्रण में लाना मुश्किल रहेगा। इसलिए मकान के अग्नि कोण व ईशान कोण का दोष पहले समाप्त करें। उच्च रक्तचाप उच्च रक्तचाप-अगर आपके भवन के उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में किसी प्राकर का वास्तुदोष है तो घर में रहने वाले लोग हीन भावना से ग्रस्त रहेंगे। हीन भावना-यदि आपके घर में वायव्य व नैऋृत्य कोण में कोई दोष है तो आपके बच्चें, महिलायें व घर में रहने वाले सदस्य अक्सर हीन भावना से ग्रस्त रहेंगे। आयुक्षय कष्ट-अगर आपका मकान मार्ग या गली के अन्त में है तो उसमें रहने वाले सदस्य अक्सर कष्ट में रहेंगे। रोग-यदि आपके भवन पर किसी वृक्ष, मन्दिर आदि की छाया पड़ रही है तो उस घर में रहने वाले सदस्य आये दिन रोग के शिकार बने रहेंगे। आयुक्षय-यदि नैऋृत्य कोण में कुआॅ आदि है तो उस घर में रहने वाले लोगों की आयुक्षय होती है। वास्तुदोष दूर करने के अन्य उपाय आप-अपने घर को इस प्रकार सजायें कि जिससे वास्तु दोष स्वतः दूर हो जायेंगे। घर के बाहर या अन्दर आशीर्वाद मुद्रा में लाॅफिंग बुद्धा लगायें। लाॅफिंग बुद्धा का मुॅख बाहर की तरफ होना चाहिए। घर के ड्राइंग रूम में लाॅफिंग बुद्धा तथा मेंढक, जिसके मुॅख में सिक्का हो, उसे घर के अन्दर इस तरह रखें कि इन दोनों का मॅुह घर के अन्दर की तरफ हो। बीम के नीचें विन्डचाइम लगाकर बीम के दोष को कम किया जा सकता है। उत्तम भाग्य के लिए दरवाजे, खिड़कियों पर फेंगसुई के अनुसार रंगीन व सुन्दर पर्दे लगायें तथा दीवारों व छतों पर हल्के व मनलुभावने रंगों का प्रयोग करें। एक सीध में दो दरवाजे घर में नहीं होने चाहिए एवं दरवाजे व खिड़कियों की संख्या सम हो और सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए। घर में गणेश जी की मूर्ति कितनी भी हो लेकिन सिर्फ एक गणेश जी की मूर्ति की ही पूजा करनी चाहिए। फेंगसुई के अनुसार दक्षिण दिशा में घोड़े रखना उत्तम होता है। श्री यन्त्र को केवल मन्दिर में ही रखना चाहिए। नौं इंच लम्बा और नौं इंच चैड़ा रोली व काली हल्दी से घर के मुख्यद्वार पर स्वास्तिक बनाये