नवग्रह की पूजा कैसे होती है और कौन से समय में कौन से ग्रह का जाप होता है

सृष्टि को सुचारू रूप से चलाने हेतु परमेश्वर ने सूर्यादि नवग्रहों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। यह सभी ग्रह संसार में स्थित सभी जड़-चेतन के कर्मो के अनुसार उसके लिए फला-फल की व्यवस्था करते हैं। आज कल ज्योतिष जैसी पवित्र विद्या की आड़ में कुछ ज्योतिषी ग्रहों के नाम पे लोगो को भयभीत कर के अपनी दुकानदारी चला रहे है यह ठीक नहीं है। कोई भी ग्रह हमारा शत्रु नहीं होता बल्कि वह तो हमारे द्वारा किये गए अच्छे-बुरे कर्मों के अनुरूप तथा हमारे प्रारब्ध के लेखा-जोखा के अनुसार बस हमें फल प्रदान करता है। जिस तरह से हम रात-दिन अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं वैसे ही वह भी केवल अपनी ड्यूटी निभा रहे होते हैं। और हमारे लिए  जो भी न्याय संगत होता है वही हमें प्रदान करते हैं । फिर उनसे भयभीत कराना या उन्हें बुरा-भला कहना कौन सा ज्योतिष है।
लेकिन.. हम आप सभी जानते हैं कि एक चीज ऐसी है जिससे हम रुष्ट ग्रह एवं देवी-देवताओं को भी मना सकते हैं ? और वो है प्रार्थना जी हां प्रार्थना, याचना, स्तुति (गुणगान)  में एक ऐसी शक्ति होती है जिससे परमपिता परमेश्वर को भी बस में किया जा सकता है। फिर भला हमारे लिए रुष्ट ग्रह-देव हमारी श्रद्धा-भक्ति, पूजा-पाठ, मन्त्र-जाप एवं व्रत-स्तुति से क्यों प्रसन्न न होंगे । हमारे आदि धर्मवेत्ताओं, हमारे पूर्वजों, हमारे ऋषि-मुनियों ने हमें ढेरों मन्त्र, यंत्र, स्त्रोत, स्तुति, कवच, पाठ अदि  प्रदान किया है। जिनके श्रवण, पाठ एवं स्थापन-पूजन से हम अपने  कुल देवता, नवग्रह देवता, इष्टदेवता तथा परमपिता परमेश्वर को भी प्रसन्न कर के उनसे अपने लिए सुख-सौभाग्य एवं मोक्ष-मुक्ति की कामना पूर्ण कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं कि अपने प्रतिकूल चल रहे सूर्यादि नव ग्रहों को किस मन्त्र अथवा  उपाय द्वारा अपने अनुकुल बनाया जा सकता है और उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि इन उपायों के साथ-साथ हमें अपने कर्म भी पवित्र रखने चाहिए तभी हम परेशानियों से निपट सकते है। कहते है न कि जैसे कर्म करोगे वैसा ही फल पाओगे। कहते है  की कर्म ही भाग्य का निर्माण करते है। और कर्म ही हमारे दुर्भाग्य को हमारे शरीर और  हमारे घर में प्रवेश करवाते हैं। नवग्रहों के उपाय क्या हैं ? उपाय किस तरह से किये जाते है? ग्रहों को शांत कैसे किया जता है? क्यों जरुरी है उपाय ? मेरे प्रिय पाठकगण जितना भी हमें ( ज्योतिषाचार्य पं. उदयप्रकाश शर्मा )इसका ज्ञान है उसके अनुसार नवग्रहों के ब्रत, दान, मन्त्र, कर्मादि को लिखने का प्रयत्न कर रहे हैं। किसी भी त्रुटि के लिए पहले ही छमा प्रार्थी हैं। संपूर्ण कोई नहीं हो सकता भूल संभव है।

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