वर्तमान समय में जब स्त्री-पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं अब तलाक शब्द अधिक सुनाई देने लगा है। इसका एक कारण सहनशीलता का अभाव भी है। इस भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में सभी मशीन बन रहे हैं। काम की अधिकता ने सहनशक्ति में भी कम कर दी है। लड़कियां अपने पैरों पर खड़े होने लगी है और उन्हें भी ऐसा लगता है कि वह आजीविका में बराबर की हिस्सेदार है तो वह अपने साथी के सामने क्युन झुके! हालांकि यह एक तरह से अहंकार है और कुछ नहीं। बहुत बार पुरुष की मनमानी से तंग होकर घर में क्लेश बढ़ते हैं। बहुत से कारण बन जाते हैं तलाक के, अलग-अलग रहना हो कोई कोई नहीं कोई बहाना ढूंढना ही लेते हैं।
तलाक के कारणों का आज हम ज्योतिषी आधार पर विश्लेषण करने की कोशिश कर रहे हैं। कुंडली में ऎसे कौन से योग हैं जिनके आधार व्यक्ति का तलाक हो जाता है या किन्द कारणो से पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहना प्रारंभ कर देते हैं।
जन्म कुंडली में लक्ज़ और चंद्रमा से अधिकांशतम भावना के बारे में शुक्र ग्रह की स्थिति से प्रतिलिपि स्थिति में स्थित हैं .कुंडली में चतुर्थ भाव का छेद भाव में हो सकता है या छठे भाव का उत्सव भाव हो जाता है यह अदालती तलाक व्यक्तता है या पति-पत्नी का तलाक कोर्ट केस के माध्यम से होगा .बारहवें भाव के बारे में सुन्दर भाव के बारे में यूटी हो रही हो और चतुर्थेश कुंडली के छठे, आठवें बार बारहवें भाव में स्थित हो जाता है पति-पत्नी का अलगाव हो जाता है प्रस्तावन देने वाले ग्रह शनि, सूर्य और राहु का सातवें भाव, सप्तमे और शुक्र पर प्रभाव पड़ रहा है या सातवें और आठवें भावों पर एक साथ प्रभाव पड़ रहा है। जन्म कुंडली में सप्तमे की युति द्वादशेश के साथ सातवें भाव या बारहवें भाव में हो रही हो .सप्तमेम और द्वादशेश का आपस में परिवर्तन परिवर्तन हो रहा है और किसी से भी राहु के साथ हो रही ह Ö.सप्तमेश और द्वादशेश जन्म कुंडली के दशम भाव में राहु / केतु के साथ स्थित हैं। जांम में मंगल या शनि की राशि हो और उसमें शुक्रवार में ही स्थित हो, सातवें भाव में सूर्य, शनि या राहु स्थित हो तब भी अलगाव की संभावना बनती आवेदनजन्म कुंडली में शनि या शुक्र के साथ राहुड़ी में स्थित हो। जन्म कुंडली में सूर्य, राहु, शनि और द्वादशेश चतुर्थ भाव में स्थित हो। जन्नम कुंडली में शुक्र आर्द्र, मूल, कृति या ज्येष्ठा नक्षत्र में स्थित होत भी दांपती जीवन में अलगाव के योग बनते हैं .कुंडली के परिणाम या सातवें भाव में राहु और शनि स्थित हो और चतुर्थ भाव अत्यधिक पीड़ित हो या अब्द प्रभाव में हो तब भी अलग होने के योग बनते हैं। एलक्र से छठे, आठवें या बारहवें भाव में पापी ग्रह स्थितियां हो और कुंडली का चतुर्थ भाव पीड़ित अवस्था में हो। पुष्टेश्वर एक अलगाववादी ग्रह हो और वह दूसरा, चतुर्थ, सौम्य और बारहवें भाव में स्थित हो तब भी अलगाव होने की संभावना बनती योजनाजन्म कुंडली में लग्ज़ और सप्तमे षडारक में द्विद्वार्दश स्थितियों में हों पति-पत्नी के अलग होने की संभावना बनती है।
लंबे समय तक चलने वाले मुकदमे | सबसे लंबे समय तक चलने वाला मुकदमा
कई बार पति-पत्नी की आपसी रजामड़ी से तलाक जल्दी हो जाता है तो कई बार खुद ही कोई जिद को ले जाने वाले हैं और अदालत में सालो तक मुकदमा चल रहा है वह रहता है। आइए लंबा समय तक चलने वाले मुकदमों के बारे में जानें।
अगर जन्म कुंडली में षष्ठक वक्री अवस्था में स्थित है तब तलाक के लिए मुकदमा बहुत लम्बे समय तक चलने के लिए उत्सव जन्म कुंडली में अष्टम की छठे भाव पर दृष्टि हो तब मुकदमा बहुत लम्बे समय तक चलने के लिए विक्टरी ग्रह की आठवें भाव पर दृष्टि हो, विशेषकर शुक्र की फिर भी कोर्ट केस बहुत लंबा समय तक चलते हैं।
वैवाहिक सुख में वक्र और वारा शुक्र और मंगल का परिणाम | रेट्रोग्रेड वीनस और मंगल के परिणाम
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पुरुषो की कुंडली में शुक्र को देखा जाता है और महिलाओं की कुंडली में मंगल को। अगर पैरो ग्रह शुभ अवस्था में नहीं है तब वैवाहिक जीवन में सुख का अभाव देखा जा सकता है। आइए शुक्र और मंगल से संबंधित कुछ बातों पर विचार करते हैं।
पुरुष की जन्म कुंडली में वक्री शुक्र हो तब व्यक्ति यौनाचार को पूर्ण पूर्ण से विरत होगा या अति कामी होगा। यही स्थिति स्त्रियों की कुंडली में मंगल को ले भी है। अगर स्त्री जाति की कुंडली में मंगल वक्र्री अवस्था में स्थित है तब तक वह स्त्री पूर्ण रुप से कामी इच्छा या बिलकुल विरक्त हो। ब्रिटिश हो या पुरुष हो, अगर जन्म कुंडली में नीच या वक्र्री मंगल पर अब्द ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो रही वैवाहिक जीवन में बहुत सी सी का सामना करना पड़ रहा है पड़ता जुलय स्त्री की जन्म कुंडली में मंगल अस्त हो तब वह नपुंसक है या फिर यौन इच्छा की कमी को व्यक्त करता है। यही स्थिति पुरुष की कुंडली में शुक्र को करना होता है।